Kabhi begano k apnepan se,
To kabhi apno k beganepan se.
वहम था अहम का,
एक चिंगारी ने सब जला डाला ।
वहम था सालों साल जीने का,
एक virus ने मार डाला ।
वहम था महलों पर महल बनाने का,
ज्ञण भर की धरती की कंपकंपी ने सब गिरा डाला ।
वहम था जवानी के जोश का,
बुढ़ापे ने रूला डाला ।
वहम था रिश्तों का,
गरीबी ने सब समझा डाला ।
वहम था कुर्सी का,
एक vote ने सत्तापलट कर डाला ।
वहम था रफ्तार का,
वक्त ने सब पलट डाला ।
वहम था जग जीतने का,
बच्चों ने हरा डाला।
वहम था अहम का,
एक चिंगारी ने सब जला डाला ।
गर मिल जाए मंजिल सबको ,
तो मंजिल की क्या कीमत,
गर लहरों से ही मिल जाए साहिल,
तो तैराक की क्या कीमत,
गर मिल जाए मोहब्बत सबको,
तो तड़प की क्या कीमत,
गर अक्ल आ गई सबमें,
तो हमारी क्या कीमत।
हम उस राज्य के वासी हैं,
जहाँ लालू की सत्ता है,
जिंदगी महंगी
और मरना सस्ता है,
भ्रष्ट हैं मंत्री से संत्री,
सरकारी तंत्र खस्ता है,
फटेहाल हैं बसें,
गड्ढों में रस्ता है,
स्कूल में मास्टर नहीं,
अस्पताल में डाक्टर नही,
जमाना हम पे हंसता है,
न नौकरी न चाकरी है,
युवा हमारा परदेश बसता है,
न बिजली है न पानी है,
जीते जी नरक पहुंच गये,
ऐसा हमको लगता है,
हम उस राज्य के वासी हैं,
जहाँ लालू की सत्ता है।